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वाजीकरण क्या है

वाजीकरण आयुर्वेद चिकित्सा की एक शाखा है | आयुर्वेद चिकित्सा के आठ भाग है उनमे से एक वाजीकरण भाग भी प्रमुख है | इन आठ अंगों को आयुर्वेद में अष्टांग आयुर्वेद के नाम से जाना जाता है | सभी आठों अंग चिकित्सा विभिन्न चिकित्सा प्रकारों को दर्शाते है | अगर शाब्दिक अर्थ देखा जाये तो वाजीकरण का अर्थ पुरुष को घोड़े की तरह यौन क्रियाओं में सक्षम बनाना है | लेकिन इसका ये तात्पर्य नहीं है की इसे सेक्सुअल पॉवर से जोड़ कर देखा जाये |

स्वाभाविक रूप से वाजीकरण व्यक्ति के बल का वर्द्धन करना एवं ओज की वृद्धि करना से समझ सकते है ताकि मनुष्य में रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास हो | आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका वाजीकरण के लिए लिखा गया है |

"वजनं वाज: शक्रस्य वेग:, स विद्यते येषांते वाजिन:,अवाजिनो वाजन: क्रियन्तेनेनेती वाजीकरणम |"

अर्थात एसा कार्य जिसके करने से अल्प, दुष्ट, क्षीण और शुष्क वीर्य वाले मनुष्यों के वीर्य की पुष्टि, शोधन, वृद्धि और उत्पति तथा स्वस्थ लोगों में मैथुन के समय हर्ष बढ़ाने के लिए उपाय एवं औषध का निर्धारण किया जाता है उसे वाजीकरण कहते है |

आयुर्वेद चिकित्सा में वाजीकरण में प्रयुक्त होने वाली औषधियां एवं औषध द्रव्यों को विभक्त किया गया है | जैसे


वाजीकरण में प्रयुक्त होने वाली जड़ी - बूटियां

शुक्रलवर्ग बलवर्द्धनगण बृहनवर्ग के द्रव्य जीवनीयगण क्षीरसंजननवर्ग शुक्रल और वाजीकरण वीर्यवर्द्धक द्रव्य कमोतेजक द्रव्य

वाजीकरण में प्रयुक्त होने वाली औषधियां

च्यवनप्राश – 10 से 20 ग्राम सुबह एवं शाम को गाय के दूध के साथ करना चाहिए | छुहारा पाक – 1 ग्राम की मात्रा में सुबह एवं शाम गोदुग्ध के साथ लिया जाता है | कामेश्वर मोदक – 3 ग्राम प्रात: सांय दूध के साथ | मद्नान्द मोदक – 5 ग्राम सुबह एवं सांय दूध के साथ | वानरी गुटिका – 5 से 10 ग्राम तक सुबह – शाम दो समय दूध के साथ लेना चाहिए | कामसुधा योग – 1 से 2 गुटिका प्रतिदिन दूध के अनुपान स्वरुप लेना चाहिये | अश्वागंधादी चूर्ण – 4 से 5 ग्राम दोनों समय दूध के साथ | कामदेव चूर्ण – 4 ग्राम सुबह – शाम दूध के साथ लिया जाना चाहिए | द्रक्षादी चूर्ण – 4 ग्राम तक सुबह – सांय | शातावार्यादी चूर्ण – 10 ग्राम दूध के साथ | नारसिंह चूर्ण – 5 ग्राम सुबह – शाम 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर चाटना चाहिए | इसके बाद गुनगुने दूध का सेवन ऊपर से किया जाना चाहिए | मदनप्रकाश चूर्ण – 4 ग्राम दूध के साथ | आनंददावटी – 1 गोली रात में सोने से 1 घंटा पूर्व | चन्द्रप्रभा वटी – 2 गोली सुबह एवं शाम | मकरध्वज वटी – 1 गोली सुबह -शाम मक्खन के साथ सेवन करनी चाहिए | कामदेव घृत – वाजीकरण औषधियां में इस घी का भी सेवन काफी फायदेमंद होता है | इसका सेवन 10 से 20 ग्राम सुबह – शाम मिश्री मिलाकर करना चाहिए | ऊपर से गरम दूध का उपयोग लाभदायक होता है | श्री गोपाल तेल – जननेंद्रिय पर इस तेल की मालिश करने से हर्ष बढ़ता है | कामाग्निसन्दीपन रस – यह उत्तम वाजीकरण औषधि रसायन है | इसका सेवन 500 मिग्रा की मात्रा में सुबह एवं शाम करना चाहिए | कामिनीविद्रावण – 1 गोली रात में सोने से 1 घंटा पूर्व सेवन करना चाहिए | त्रिलोक्य चिंतामणि रस – यह भी वाजीकरण औषधियां में आता है | इसका सेवन चिकित्सक 1 गोली सुबह एवं शाम 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण के साथ शहद मिलाकर करवाया जाता है | नवजीवन रस – 1 गोली सुबह – शाम अश्वगंधा चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ करना चाहिए | पुष्पधन्वा रस – 1 गोली सुबह – शाम मक्खन और मिश्री मिलाकर करना चाहिए | पूर्णचन्द्र रस – मक्खन एवं मिश्री मिलाकर सुबह एवं सांय काल में सेवन किया जाना चाहिए | मन्मथ रस – 1 गोली गरम दूध के साथ दोनों समय ली जानी फायदेमंद है |

सन्दर्भ - [1]